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बीर भड़ माधो सिंह भंडारी

 “एक सिंह रैंदो बण, एक सिंह गाय का एक सिंह माधो सिंह, और सिंह काय का” उत्तराखंड में प्रसिद्ध इस लोकोक्ति का अर्थ है- एक सिंह वन में रहता है, एक सींग गाय का होता है। एक सिंह माधो सिंह है, इसके अलावा बाकी सिंह बेकार हैं। उत्तराखंड की लोक गाथाओं में कई ‘वीर भड़ों’ (वीर योद्धा) का ज़िक्र है। और इन्ही में से एक वीर भड़ हैं माधो सिंह भण्डारी। माधो सिंह भण्डारी का जन्म मलेथा गाँव में हुआ था जो उत्तराखंड के बद्रीनाथ राष्ट्रीय राजमार्ग पर देवप्रयाग और श्रीनगर के बीच में बसा हुआ है। पहाड़ की लोक गाथाओं में वीर गढ़वाली योद्धा माधो सिंह भण्डारी का अपना अलग विशेष स्थान है। लगभग 400 साल पहले पहाड़ का सीना चीरकर नदी का पानी ‘कूल’ (सुरंग) बनाकर अपने गाँव मलेथा तक लेकर आने का काम महान योद्धा माधो सिंह भण्डारी ने किया था। माधो सिंह द्वारा बनाई गई ‘कूल’ के जरिए जो पानी आता है, उससे मलेथा गाँव के खेतों में आज भी हरियाली है। ‘माधो सिंह मलेथा’ माधो सिंह भण्डारी का जन्म सन 1595 के लगभग उत्तराखंड के टिहरी जिले के मलेथा गाँव में हुआ था। जिस कारण उन्हें ‘माधो सिंह मलेथा’ भी कहा जाता है। उनके पिता का नाम ‘सोणबाण’