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सती अनुसूया

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#जब_सती_अनुसूया_के_तप_से_त्रिदेव_बन_गए_शिशु अत्रि ऋषि की पत्नी और सती अनुसूया की कथा से अधिकांश लोग परिचित हैं।  एक बार नारदजी विचरण कर रहे थे तव तीनों देवियां मां लक्ष्मी, मां सरस्वती और मां पार्वती को परस्पर विमर्श करते देखा। तीनों देवियां अपने सतीत्व और पवित्रता की चर्चा कर रही थी। नारद जी उनके पास पहुंचे और उन्हें अत्रि महामुनि की पत्नी अनुसूया के असाधारण पातिव्रत्य के बारे में बताया। नारद जी बोले उनके समान पवित्र और पतिव्रता तीनों लोकों में नहीं है। तीनों देवियों को मन में अनुसूया के प्रति ईर्ष्या होने लगी। तीनों देवियों ने सती अनसूया के पातिव्रत्य को खंडित के लिए अपने पतियों को कहा तीनों ने उन्हें बहुत समझाया पर पर वे राजी नहीं हुई।     इस विशेष आग्रह पर ब्रह्मा, विष्णु और महेश ने सती अनसूया के सतित्व और ब्रह्मशक्ति परखने की सोची। जब अत्रि ऋषि आश्रम से कहीं बाहर गए थे तब ब्रह्मा, विष्णु और महेश तीनों ने यतियों का भेष धारण किया और अत्रि ऋषि के आश्रम में पहुंचे तथा भिक्षा मांगने लगे।  अतिथि-सत्कार की परंपरा के चलते सती अनुसूया ने त्रिमूर्तियों का उचित रूप से स्वागत कर उ

केदारनाथ

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केदारनाथ को क्यों कहते हैं ‘जागृत महादेव’ ?, 🙏 दो मिनट की ये कहानी रौंगटे खड़े कर देगी।😲😲  एक बार एक शिव-भक्त अपने गांव से केदारनाथ धाम की यात्रा पर निकला। पहले यातायात की सुविधाएँ तो थी नहीं, वह पैदल ही निकल पड़ा रास्ते में जो भी मिलता केदारनाथ का मार्ग पूछ लेता, मन में भगवान शिव का ध्यान करता रहता चलते चलते उसको महीनो बीत गए, आखिरकार एक दिन वह केदार धाम पहुच ही गया।   केदारनाथ में मंदिर के द्वार 6 महीने खुलते है और 6 महीने बंद रहते है। वह उस समय पर पहुचा जब मन्दिर के द्वार बंद हो रहे थे। पंडित जी को उसने बताया वह बहुत दूर से महीनो की यात्रा करके आया है। पंडित जी से प्रार्थना की - कृपा कर के दरवाजे खोलकर प्रभु के दर्शन करवा दीजिये । लेकिन वहां का तो नियम है एक बार बंद तो बंद। नियम तो नियम होता है। वह बहुत रोया। बार-बार भगवन शिव को याद किया कि प्रभु बस एक बार दर्शन करा दो। वह प्रार्थना कर रहा था सभी से, लेकिन किसी ने भी नही सुनी।   पंडित जी बोले अब यहाँ 6 महीने बाद आना, 6 महीने बाद यहा के दरवाजे खुलेंगे यहाँ 6 महीने बर्फ और ढंड पड़ती है, और सभी जन वहा से चले गये वह वही पर रोता रहा रोत

पृथ्वीराज चौहान

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पुरा नाम :-          पृथ्वीराज चौहान  अन्य नाम :-         राय पिथौरा  माता/पिता :-       राजा सोमेश्वर चौहान/कमलादेवी पत्नी :-               संयोगिता जन्म :-               1149 ई.   राज्याभिषेक :-     1169 ई.    मृत्यु :-                1192 ई.  राजधानी :-          दिल्ली, अजमेर वंश :-                 चौहान (राजपूत) आज की पिढी इनकी वीर गाथाओ के बारे मे..  बहुत कम जानती है..!!  तो आइए जानते है..  #RajputSamratPrithvirajChauhan से जुडा इतिहास एवं रोचक तथ्य,,, ''(1)  प्रथ्वीराज चौहान ने 12 वर्ष कि उम्र मे बिना किसी हथियार के खुंखार जंगली शेर का जबड़ा फाड़  ड़ाला था । (2) पृथ्वीराज चौहान ने 16 वर्ष की आयु मे ही  महाबली नाहरराय को युद्ध मे हराकर माड़वकर पर विजय प्राप्त की थी। (3) पृथ्वीराज चौहान ने तलवार के एक वार से जंगली हाथी का सिर धड़ से अलग कर दिया था । (4) महान सम्राट प्रथ्वीराज चौहान कि तलवार का वजन 84 किलो था, और उसे एक हाथ से चलाते थे ..सुनने पर विश्वास नहीं हुआ होगा किंतु यह सत्य है..  (5) सम्राट पृथ्वीराज चौहान पशु-पक्षियो के साथ बाते करने की कला जानते थे। (8) प्रथ्वीराज