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धारी देवी

 जय माँ धारी देवी 🌹 कहते हैं कि धारी देवी सात भाइयों की इकलौती बहन थी, बचपन में ही माता पिता के देहांत के बाद सातों भाइयों ने धारी देवी की देखरेख की वह भी अपने भाइयों की खूब सेवा करती थी तभी भाइयों को पता चला कि उनकी बहन के ग्रह भाइयों के खराब हैं तो ओ बहन से नफ़रत करने लगे,जब वह कन्या तेरह साल की थी तो उसके पांच भाइयों की मृत्यु हो गई बचे हुए दो भाइयों को लगा कि इसी बहन के ग्रहों के कारण भाइयों की मृत्यु हो गई है, फिर उन्होंने रात्रि के समय में कन्या की हत्या कर दी और उसका सिर धड़ से अलग कर दिया सिर और धड़ को गंगा में बहा दिया, कन्या का सिर बहते हुए दूर धारी गांव में पहुंच गया, प्रातः काल में नदी किनारे एक व्यक्ति कपड़े धो रहा था उसे लगा कि एक कन्या डूब रही है बचाने का प्रयास किया परंतु पानी बहुत था इसलिए पीछे हटा तभी उस सिर में से आवाज आई कि डर मत मुझे बचा तू जहां जहां पैर रखेगा वहां पर सीढ़ियां बनती जायेंगी,उस व्यक्ति ने ऐसा ही किया और सीढ़ियां बनती गई, जैसे ही उसने कन्या समझकर सिर को उठाया तो कटा सिर देखकर घबरा गया फिर सिर पर से आवाज आई कि मैं देवी रूप में हूं तू मुझे किसी पवित्र