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हनुमान चट्टी

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हनुमान चट्टी एक मंदिर है, जो भगवान हनुमान को समर्पित है। यह ऋषिकेश, उत्तराखंड से लगभग 286 किमी की दूरी पर स्थित है। यह मंदिर के जोशीमट से 34 किलोमीटर की दूरी पर हैं और बद्रीनाथ मंदिर लगभग 12 कि.मी. तथा दोनों के बीच में स्थित है। गढ़वाल हिमालय में हनुमान चट्टी के एक ही नाम से दो स्थान हैं। एक मंदिर यमुनोत्री धाम पर स्थित है, जबकि दूसरा बद्रीनाथ मंदिर तक है। हालांकि मंदिर कद में छोटा दिखता है लेकिन यह बहुत सुंदर है और इसके पीछे एक प्रभावशाली इतिहास है। किंवदंती यह है कि यह इस स्थान पर था कि भगवान हनुमान ने पांडव भाई भीम को गले लगाया था और उनके अहंकार को कुचल दिया था। मंदिर के पीछे की कहानी भीम अपनी ताकत और शक्ति के लिए प्रसिद्ध पांडव भाइयों में से एक थे। एक दिन जब भीम इस रास्ते से गुजर रहे थे, तो उन्हें रास्ते में एक बुढें बंदर का सामना करना पड़ा। भीम के मार्ग में बाधा उत्पन्न करने के कारण उनकी पूंछ फैल हुई थी। भीम ने पूंछ हटाने के लिए बुढें बंदर से कई बार अनुरोध किया, लेकिन बंदर ने यह कहते हुए मना कर दिया कि वह बहुत बूढ़ा है और वह बहुत थका हुआ है। भीम इस कारण क्रोधित हो गए और म

रति.....

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रत्ती """"" यह शब्द लगभग हर जगह सुनने को मिलता है। जैसे - 'रत्ती भर भी परवाह नहीं, रत्ती भर भी शर्म नहीं', रत्ती भर भी अक्ल नहीं... आपने भी इस शब्द को बोला होगा, बहुत लोगों से सुना भी होगा। आज जानते हैं 'रत्ती' की वास्तविकता, यह आम बोलचाल में आया कैसे. आपको यह जानकर आश्चर्य होगा कि रत्ती एक प्रकार का पौधा होता है, जो प्रायः पहाड़ों पर पाया जाता है। इसके मटर जैसी फली में लाल-काले रंग के दाने (बीज) होते हैं, जिन्हें रत्ती कहा जाता है। प्राचीन काल में जब मापने का कोई सही पैमाना नहीं था तब सोना, जेवरात का वजन मापने के लिए इसी रत्ती के दाने का इस्तेमाल किया जाता था. सबसे हैरानी की बात तो यह है कि इस फली की आयु कितनी भी क्यों न हो, लेकिन इसके अंदर स्थापित बीजों का वजन एक समान ही 121.5 मिलीग्राम (एक ग्राम का लगभग 8वां भाग) होता है। तात्पर्य यह कि वजन में जरा सा एवं एक समान होने के विशिष्ट गुण की वजह से... कुछ मापने के लिए जैसे रत्ती प्रयोग में लाते हैं। उसी तरह किसी के जरा सा गुण, स्वभाव, कर्म मापने का एक स्थापित पैमाना बन गया यह "रत्ती" शब्द