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हिन्दू बिवाह रात्रि मैं क्यूँ होते हैं

क्या कभी आपने सोचा है कि हिन्दुओं में रात्रि को विवाह क्यों होने लगे हैं, जबकि हिन्दुओं में रात में शुभकार्य करना अच्छा नहीं माना जाता है क्योंकि ये निशाचरी समय होता है ? रात को देर तक जागना और सुबह को देर तक सोने को, राक्षसी प्रवृति बताया जाता है। रात में जागने वाले को निशाचर कहते हैं। केवल तंत्र सिद्धि करने वालों को ही रात्रि में हवन व यज्ञ की अनुमति है। वैसे भी प्राचीन समय से ही सनातन धर्मी हिन्दू दिन के प्रकाश में ही शुभ कार्य करने के समर्थक रहे हैं। तब हिन्दुओं में रात की विवाह की परम्परा कैसे पड़ी ? कभी हम अपने पूर्वजों के सामने यह सवाल क्यों नहीं उठाते हैं  या  स्वयं इस प्रश्न का हल क्यों नहीं खोजते हैं ? दरअसल भारत में सभी उत्सव, सांस्कृतिक कार्यक्रम एवं संस्कार दिन में ही किये जाते थे चूंकि ये सनातनी परम्परा है। सीता और द्रौपदी का स्वयंवर भी दिन में ही हुआ था। शिव विवाह से लेकर संयोगिता स्वयंवर (बाद में पृथ्वीराज चौहान जी द्वारा संयोगिता जी की इच्छा से उनका अपहरण) आदि सभी शुभ कार्यक्रम दिन में ही होते थे। प्राचीन काल से लेकर मुगलों के आने तक भारत में विवाह दिन में ही हुआ करते

राजुला मालुशाई

 *राजुला- मालुशाही* अपने उत्तराखंड की एक प्रेमगाथा प्रसिद्ध है, यह करीब एक हजार साल पुरानी है। कत्यूरी राज का अन्तिम दौर चल रहा था। राजधानी कार्तिकेय पुर (बागेश्वर) से द्वारहाट (बैराठ) आ चुकी थी। एक रात को कत्यूरी वंश के राजा मालूशाही के स्वप्न में जोहार के सुनपति शौका की बेटी राजुला आ गई। मालूशाही की सात रानियाँ पहले से थीँ, लेकिन राजुला का अप्रतिम सौन्दर्य देखकर वह राजुला पर मोहित हो गया। वह राजुला को प्राप्त करने के लिए मल्ला जोहार के दुर्गम रास्ते पर दल बल के साथ चल पड़ा। कहा जाता है कि मालूशाही भी राजुला के स्वप्न में आया और वह भी उस से प्रेम करने लगी, उसने मन ही मन मालुशाही को अपना मान लिया। राजुला के पिता ने उसकी  उसकी शादी हूणदेश (तिब्बत) के एक व्यापारी से तय कर दी। मालूशाही अपने लाव-लश्कर के साथ जोगी के वेश में शौक्आन पहुँचा,मालू की यह यात्रा बहुत कठिन थी। मालू किसी तरह राजुला से मिला और उसके मन की बात पूछी, राजुला ने अपने मन की बात बता दी, तब मालुशाही ने राजुला के पिता से उसका हाथ मांगा पर उसने मना कर दिया।एक षडयंत्र कर मालूशाही को ज़हर खिला दिया गया । सिदुवा और विदुवा नाम के