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पंच प्रयाग

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उत्तराखंड देवभूमि है। यहां पंच प्रयाग में दर्शन से जीवन में उल्लास आता है। ये प्रमुख पंच प्रयाग हैं- विष्णुप्रयाग, नंदप्रयाग, कर्णप्रयाग, रुद्रप्रयाग और देवप्रयाग। यह पंच प्रयाग उत्तराखंड की मुख्य नदियों के संगम पर हैं। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार नदियों का संगम बहुत ही पवित्र माना जाता है। इन पंच प्रयागों का पवित्र जल एक साथ अलकनंदा और भगीरथी का जल भगवान श्रीराम की तपस्थली देवप्रयाग में मिलता है और यहीं से भगीरथी और अलकनंदा का संगम गंगा के रूप में अवतरित होता है   उत्तराखंड के हिमालय के क्षेत्र के पंच प्रयाग यानी संगम को सबसे पवित्र माना गया है, क्योंकि गंगा, यमुना सरस्वती और उनकी सहायक नदियों का उत्तराखंड देवभूमि उद्गम स्थल है। जिन जगहों पर इनका संगम होता है उन्हें प्रमुख तीर्थ माना जाता है। जिनमें स्नान का विशेष महत्व है और इन्हीं संगम स्थलों पर पूर्वजों के मोक्ष के लिए श्राद्ध तर्पण भी किया जाता है। 🚩विष्णुप्रयाग बद्रीनाथ से होकर निकलने वाली विष्णु प्रिया अलकनंदा नदी और धौली गंगा नदी का जोशीमठ के नजदीक जिस स्थान पर मिलन ह

मेरा अनुरोध है आप सभी से इस पोस्ट को एक बार जरूर पढ़ें

मेरी यह पोस्ट उन बहन बेटियों के लिए है जो अपने गुरुर में अपने अहंकार में अपने पति का घर छोड़ देती हैं और अपने पतियों को कम कमाई के ताने देती है उन हर बहन बेटियों से मेरा अनुरोध है जिनकी शादी हो गई और जिनकी शादी होने वाली है वह इस पोस्ट को एक बार जरूर पढ़ें बेटियों आप जिस घर में शादी करके जाते हो जरूरी नहीं कि वह आपके घर जैसा ही हो हर घर में हर पति की इतनी कमाई नहीं रहती जितनी आपने आपके घर में पापा और भाई की देखी है आपको जो सुख सुविधा आपके मम्मी पापा के घर मिली यह जरूरी नहीं कि आप को पति के घर में भी मिले आज मैं सुबह उठा था ही और पास वाले चौहान जी दिख गए मैं बोला चौहान जी नमस्कार चौहान जी बोले कुंवर जी नमस्कार मैं फिर बोला चौहान जी आप कुछ उदास दिख रहे हो क्या बात है शर्मा जी उदास होकर बोले कि मेरी बेटी घर पर आकर बैठ गई मैं बोला चौहान जी बेटी तो "संग्रान्द " पर आई हुई थी ना तो इसमें कौन सी बड़ी बात है चौहान बोले नहीं कुंवर जी बेटी हमेशा के लिए अपने पति को छोड़ कर आ गई और बोलती है मुझे तलाक दिलवाओ पापा मैंने फिर चौहान जी से पूछा आपने आपकी बेटी से पूछा पति के यहां क्या समस्या है

रोचक जानकारी

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☺ कर लो दर्शन ☺ बाबा अमरनाथ से जुड़ी अमर कबूतर की कथा पुराणों में वर्णित है कि एक बार माता पार्वती ने भगवान शिव से पूछा, आप अजर-अमर हैं और मुझे हर जन्म के बाद नए स्वरूप में आकर फिर से वर्षों की कठोर तपस्या के बाद आपको प्राप्त करना होता है। मेरी इतनी कठोर परीक्षा क्यों? और आपके कंठ में पड़ी यह नरमुण्ड माला तथा आपके अमर होने का रहस्य क्या है? भोलेनाथ ने बताया कि हे शक्ति ये नरमुंड तुम्हारे ही हैं !!! भगवान शंकर ने माता पार्वती से एकांत और गुप्त स्थान पर अमर कथा सुनने को कहा जिससे कि अमर कथा कोई अन्य जीव न सुन पाए। क्योंकि जो कोई भी इस अमर कथा को सुन लेता है, वह अमर हो जाता। पुराणों के मुताबिक, शिव ने पार्वती को इसी परम पावन अमरनाथ की गुफा में अपनी साधना की अमर कथा सुनाई थी, जिसे हम अमरत्व कहते हैं। कहते हैं भगवान भोलेनाथ ने अपनी सवारी नंदी को पहलगाम पर छोड़ दिया, जटाओं से चंद्रमा को चंदनवाड़ी में अलग कर दिया और गंगाजी को पंचतरणी में तथा कंठाभूषण सर्पों को शेषनाग पर छोड़ दिया। इस प्रकार इस पड़ाव का नाम शेषनाग पड़ा। अगला पड़ाव गणेश पड़ता है, इस स्थान पर बाबा ने अपने पुत्र गणेश को भी छोड़ द