"जनरल बकरा बैजू"

 जनरल बकरा बैजू'


लम्बी दाढ़ी, विशाल बलिष्ठ शरीर, ना कभी कोई हथियार उठाया और ना कभी कोई जंग लड़ी फिर भी वो गढ़वाल राइफल्स का सबसे सम्मानित जनरल रहा. ये बात आपको और हैरत में डाल देगी कि वो इंसान नहीं, एक जानवर था. एक बकरा था. जो आज भी 'जनरल बकरा बैजू' 🙏🏼🇮🇳के नाम से प्रसिद्ध है. सुनने में शायद ये किस्सा आपको कितना अटपटा लगे लेकिन हकिकत में ये उतना ही रोचक और रोमांचक है. चलिए जानते है कहानी..कैसे एक बकरे का एहसान चुकाने के लिए सेना ने उसे जनरल का दर्जा दिया और सैनिक बैरक में एक कमरा भी.


यह कहानी 1919 के तीसरे एंग्लो-अफगान लड़ाई की है. अफगानिस्तान ने ब्रिटिश हुकूमत के खिलाफ मोर्चा छेड़ दिया था. इस विद्रोह को दबाने के लिए ब्रिटिश भारतीय सेना को भेजा गया था, जिसका एक हिस्सा गढ़वाल रेजीमेंट भी था.


प्रथम विश्व युद्ध का समय था. गढ़वाल रायफल्स की एक टुकड़ी को अफगानिस्तान में विद्रोह दबाने को भेजा गया इससे पहले ब्रिटिश सेना के 1700 सिपाही मारे गये थे. अब बारी थी गढ़वाल रायफल्स के सैनिकों के शौर्य की. अफगानिस्तान के चित्राल के आस-पास सेना भटक गयी और दिनों तक भूखे रह गयी.

एक रात भूख और प्यास से लड़ रही टुकड़ी बैठी थी कि सामने से झाड़ियों में कुछ हल-चल हुई. सैनिकों ने झाड़ियों की ओर बंदूक तान ली. सैनिकों ने देखा झाड़ी से एक लम्बी दाड़ी वाला तगड़ा बकरा निकल रहा है. बकरा सैनिकों की ओर देर तक निहारने लगा मानों सैनिकों के हालात समझ रहा हो. इधर सैनिकों के मन में बकरे को हलाल करने का ख्याल आने लगा और उसकी ओर बढ़ने लगे.


बकरे ने अपने कदम तेजी से पीछे की ओर बढ़ाए और भागने लगा. सैनिक तुरंत बकरे के पीछे भागने लगे. बड़ी दूर तक बकरा आगे आगे और सैनिक पीछे-पीछे भागे. एक खुले मैदान में जाकर बकरा रुक गया. सैनिक खुले मैदान में बकरे को खड़ा देख चौंक गये. तभी बकरा जमीन खोदने लगा. सैनिक कुछ समझ न पाए बकरा मैदान खोदता रहा.


सैनिकों ने नजदीक जाकर देखा तो मैदान में आलू निकले. सैनिकों ने पूरा मैदान खोदना शुरु किया तो अगले कई दिन के लिये आलू निकल आये. युद्ध के बीच सैनिकों की जान बच गयी. सैनिकों ने भी जान बचाने के लिये बकरे का एहसान माना और अपने साथ उसे लैंसडाउन ले आये.


कहा जाता है कि लैंसडाउन में बकरे को न केवल जनरल का पद दिया गया बल्कि उसके लिये अलग से कमरे की व्यवस्था भी की गयी. लैंसडाउन के लोग कहते हैं कि एक समय ऐसा था जब जनरल बैजू बकरे को पूरे लैंसडाउन में कहीं भी घुमने का अधिकार प्राप्त था उसे पूरी आज़ादी थी. जनरल बैजू बकरा जब बाज़ार से गुजरता तो उसे किसी भी दुकान से कुछ भी खाने की अनुमति थी. किसी भी दुकान से जनरल बैजू बकरा कुछ खाता उसका बिल सेना को भेज दिया जाता. सेना उसके बिल का भुगतान करती थी.


जय देव भूमि उतराखण्ड 

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